Sep 13, 2017

चलते चलते (३७)

वो दिन गए की मोहब्बत थी जान की बाजी ,
अब किसी से कोई बिछड़े तो मर नहीं जाता -वसीम बरेलवी

चलते चलते (३६ )

टूटे हुए ख़्वाबों ने हम को ये सिखाया है दिल ने जिसे पाया था आँखों ने गँवाया है-शैलेन्द्र

चलते चलते (३५)

मुझसे मिलने को आप आये हैं,
बैठिये मैं बुला के लाता हूँ।