इक बगल में चाँद होगा इक बगल में रोटियां
इक बगल में नींद होगी इक बगल में लोरियां ...
हम चाँद पे रोटी की चादर दाल कर सो जायेंगे
और नींद से कह देंगे लोरी कल सुनाने आएंगे
इक बगल में नींद होगी इक बगल में लोरियां ...
हम चाँद पे रोटी की चादर दाल कर सो जायेंगे
और नींद से कह देंगे लोरी कल सुनाने आएंगे
इक बगल में खनखनाती सीपियाँ हो जाएँगी
इक बगल में कुछ रुलाती सिसकियाँ हो जाएँगी
हम सीपियों में भर के सरे तारे छू के आएंगे
और सिसकियों को गुदगुदी कर कर के यूँ बहलायेंगे
अम्मा तेरी सिसकियों पे कोई रोने आएगा
कोई रोने आएगा
गम न कर जो आएगा वो फिर कभी न जायेगा
याद रख पर कोई अनहोनी नहीं तू लाएगी
लाएगी तो फिर कहानी और कुछ हो जाएगी
होनी और अनहोनी की परवाह किसे है मेरी जान
हद से ज्यादा ये ही होगा की यहीं मर जायेंगे
हम मौत को सपना बता कर उठ खड़े होंगे यहीं
और होनी को ठेंगा दिखा कर खिलखिलाते जायेंगे
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