ARVIND
Jun 29, 2017
चलते चलते (२८ )
हमीं को क़ातिल कहेगी दुनिया, हमारा ही क़त्ले आम होगा
हमीं कुँए खोदते फिरेंगें, हमीं पे पानी हराम होगा
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