Dec 23, 2019

Anayara Tales



अनायरा जी बहुत सिंपल सी बच्ची हैं।
जब पापा मम्मा ने उनसे पूछा की क्रिसमस पे क्या चाहिए तो वो बोलीं : "देखो !! मेरे पास छोटा ब्रश है, छोटा पेस्ट है, छोटा सोप और छोटा पर्स भी है तो मुझे बस एक छोटा "हैंड वाश" गिफ्ट कर दो। " 

Dec 14, 2019

कर्मा

तारीख : १४/१२/०२ 
किसी ने बहुत ठीक कहा है की कभी कभी कुछ कहानियां अपना अंत निगल जाती हैं और अपने पीछे कई और कहानियों को छोड़ जाती हैं. जो कहानी मैं सुनाने जा रहा हूँ वो भी कुछ ऐसी ही है..
लगभग ६  साल हो गऐ थे मुझे अपने ननिहाल गए हुए. पढ़ाई में इतना व्यस्त और दूर हो गया था की समय ही नहीं निकल पा रहा था, पर पिछले ५ साल से लगातार गाँव जाने की कोशिश कर रहा था किसी खास कारण  से, और इस बार जाना हो गया.
कारण थी एक खबर जो ५ साल पहले सुनी थी और लगातार खलबली मचाये हुए थी दिल में. ये कहानी उस समय की हैं जब समाज, जाति और धर्म के गंदे दलदल में इतना गहरा फंसा हुआ था की सम्मान के लिए जान ले लेना (Honor Killing ) आम सी बात हुआ करती थी। खाप पंचायतों का बोलबाला था।

भाग -१
समय : १९९६  (०६) साल पहले। .....
गाँव : वजीरपुर
जिला : पानीपत
मीरा एक उन्मुक्त स्वाभाव की लड़की थी , उम्र कुछ १६ साल के आसपास होगी | खिलखिला कर हंसना , हर समय मुस्कुराना , यहाँ से वहां भागते रहना यही स्वभाव था उसका। वो ऐसी लड़कीयां नहीं होती हैं घरों में जो पूरे घर की रौनक बनी रहती हैं।  शादी ब्याह, तीज त्योहारों सबसे ज़्यादा उमंग में वही रहती हैं।  आँखों का रंग हरा था उसका।  यही उसकी सब अलग पहचान थी।
संयुक्त परिवार की सबसे छोटी बेटी , सबसे ज्यादा लाड प्यार में पाली।
कच्ची उम्र थी, चंचल स्वभाव था एक दूसरी जाति के लड़के के प्यार में पड़ गयी. दीन दुनिया के झंझटों से बेखबर ये प्रेमी जोड़ा अपने सपने बुनता रहता था।  उन्हें पता था कि अगर घर , परिवार और समाज को उनके संबंधों के बारे में पता चल गया तो बवाल मच जाना है ,पर एक उम्र होती हैं जिसमे गलतियां करने में  इतना मजा आता है की आप अपने को रोक नहीं पाते। आप नियमों को मानना नहीं चाहते। एक विद्रोह होता है आपके अंदर, आप जिंदगी को एक प्रेम गीत मानते हैं और कई कहानियों के बुरे अंत देख कर भी आप ये मानकर चलते हैं की मेरे साथ सब अच्छा होगा। यही हाल मीरा और रामेश्वर का था।  वो एक दोहरी जिंदगी जी रहे थे।  सबके सामने वो दोनों अपने परिवार की खुशियां बढ़ाते और चोरी छिपे अपनी एक अलग ही सुनहरी दुनिया का सपना संजोते।
चूँकि दोनों ही लड़कपन से गुजर रहे थे और ऐसे समय में आपके निर्णय में दिमाग का कोई योगदान नहीं होता आप अपने दिल को जिदंगी की लगाम पकड़ा देते हैं।  उनके साथ भी यही हुआ उनको मालूम ही नहीं पड़ा और एक दिन उनका प्यार सारी हदें पार गया।
उनको इस बात का अंदाजा भी नहीं था की क्या हो गया पर जैसे की प्रकृति का नियम है की हर ख़ुशी के बाद दुःख आता है और दुःख ज्यादा गहरा होता है।  उनके ख़ुशी के दिन खतम होना शुरू हुए जब मीरा के शरीर में परिवर्तन दिखाई देने लगे।  शुरुवात में घर परिवार वालों ने उसके अचानक फूलते शरीर और उड़ते चेहरे के रंग  पे ध्यान नहीं दिया फिर एक दिन जब ज्यादा बुखार होने पे शहर के डॉक्टर को दिखाया तो उसने बताया की ०५ माह का गर्भ है। अब एक तरफ था एक रूढ़िवादी समाज जिसमे कम उम्र में बेटी के मर जाने पे ख़ुशी मनाता है  यह कहकर की "बेटी मरे भाग्यवान की ", जो दूसरी जाति के हाथ का पानी भी नहीं पीता , एक लाइन में बैठकर खाना भी नहीं खाता, सुबह सुबह सामने दिख जाने पे  नहा कर बाहर निकलता है और एक तरफ थी एक १६-१७  साल की मासूम  लड़की जिसके पेट में उसका ०५ माह का गर्भ था. लड़की का डर के मारे बुरा हाल था हंगामे का डर था  हंगामा होना ही था।
सबसे पहले रामेश्वर के परिवार को पैसे और धमकी देकर गाँव छुड़वाया गया। दो दिन बाद रामेश्वर वापिस लौट कर आया एक आखिरी बार मीरा से मिलने को।  उस दिन क्या हुआ पता नहीं पर ०१ दिन बाद रामेश्वर की लाश गाँव के बाहर की नहर में मिली।
मीरा की समस्यायें  यहाँ से शुरू हुयी थीं। जबसे मालूम पड़ा था की उसका गर्भ गिराया नहीं जा सकता बढे भाई साब की चुप्पी उसे डरा रही थी।  सबसे लाड़ली थी वो इन भाई साब की ,अपनी बेटी जैसे पाला था उसे ।  वो उन २-३ लड़कियों में शुमार थी अपने गाँव की जो ८वीं  के आगे पढ़ने स्कूल जा रही वो भी केवल इन भाई साब के कारण।  जब भी रात बे रात देर से घर लौटती और पापा मम्मी या मंझले और छोटे भइया गुस्सा करते तब यही भाई साब उसे बचाते और आज आलम ये था की इन भाई साब की चुप्पी में उसे एक मौत का सन्नाटा सा सुनाई आ रहा था।  वो घर पहुंची तो उसे एक कमरे में बिठा दिया गया और ०३ बड़े भाई , पापा , भाइयों के बच्चे , बहन जीजा , भाभियाँ और माँ सब एक दुसरे कमरे में चले गए कुछ बात करने।  ऐसा पहली बार हुआ था जब इतनी रात हो गयी और किसी ने उसे खाने का भी नहीं पूछा।  दुःख, अवसाद , डर , चिंता सबके बीच कब वो सो गयी उसे पता नहीं चला।  उसे सपना भी आया की वो और रामेश्वर शहर में जाकर रह रहे हैं उनको बेटा हुआ है और वो नींद में ही मुस्कुराने लगी।  सपना टूटा जब अचानक दरवाजा खुला और उसके पेट पे एक लात पड़ी अँधेरे में।  वो हड़बड़ा कर उठी पर तब तक लात घूंसों की बौछार सी हो गयी।  हर तरफ से मार पड़ रही थी। गालियां दी जा रही थीं किसी ने रंडी भी बोला , अपने ही परिवार में किसी ने माँ की और किसी ने बहन की गाली भी दी।  फिर एक डंडा उसकी पीठ में लगा फिर एक डंडा उसके सर पे लगा फिर उसे याद नहीं है कितना मारा गया। देर रात में  जब नींद खुली तो वो एक मांस का लोथड़ा बनी हुयी थी शायद सब मरते मरते थक गए थे या उसे मरा मान लिया था और एक बैलगाड़ी पे पड़ी हुयी थी वो साँस बहुत बहुत धीरे धीरे और बहुत देर में आ रही थी।  जिस चादर एम् उसे लपेटा वो खून से सं गयी थी पेट पे सबसे ज्यादा गुस्सा निकला गया था जैसे ही बैलगाड़ी चलना शुरू हुयी उस ने एक बार ऑंखें खोल कर अपने घर को देखा।  सब लोग खड़े थे इन्ही की गोदियों में खेल के वो बड़ी हुयी थी। इसी दालान में कितना हंसी थी। यही भाई भाभी उसपे जान छिड़कते थे आज इतना नाराज हुए की उससे एक बार भी बात नहीं की और रामेश्वर कहाँ है वो क्यों नहीं आया इन लोगों को समझाने। बड़े और मंझले भैया आपस  में बात करते जा रहे थे : जहाँ उस लड़के को फेंका था नहर में उसी तरफ इसे फेंकना।
ओह्ह तो इसलिए रामेश्वर नहीं आया फिर अचानक उसे कुछ याद आया उसने अपने पेट पे हाथ लगाकर देखा तो कोई हलचल नहीं मालूम पड़ी।  ओह्ह तो ये भी चला गया उसके चेहरे पे एक हंसी सी आ गयी।  एक क्रूर सी हंसी जो कह रही हो की ए दुनिया तेरा क्या बिगाड़ा था हमने जो मेरा सब कुछ छीन लिया।
अचानक बैलगाड़ी रुकी और जोर से कुछ सर पे पड़ा और उसका रहा सहा दम भी टूट गया। आंखे खुली रह गयी और चेहरे पे वही एक क्रूर सी मुस्कान रह गयी।

भाग -२
गाँव में कुछ दिनों तक खुसुर पुसुर रही इस घटना की उसके बाद सब शांत हो गया। गाँव में यही बोल दिया गया था की किसी बुखार से रातों रात उसकी मौत हो गयी और बुखार न फैले इसलिए उसे नहर में सिरा दिया।  जानते सब थे पर पता नहीं बुराई को छिपाने में कैसी एक एकता सी आ जाती है कभी कभी हम लोगों में। अंदर ही अंदर लोगों की सहानुभूतिं मीरा के भाइयों के साथ ही थी। सामजिक मापदंडों पे मीरा ही गुनहगार थी।  ऐसे भी इस जुर्म को सम्मान की लड़ाई का नामा दिया गया था। रामेश्वर के परिवार का कुछ अता पता नहीं था।  रामेश्वर रहा नहीं, मीरा रही नहीं।  कुछ दिन बाद गाँव में प्रधानी के चुनाव होने थे और इस घटना को अपने उचित अंजाम तक पहुंचने और परिवार और समाज की इज्जत बचने के इनाम स्वरुप बड़े भाई साब को प्रधानी का टिकट मिल गया था साथ ही छोटी भाभी को गर्भ ठहरा था तो सारा परिवार इन्ही चीजों में मशगूल हो गया।  ये कहानी यही ख़त्म हो गयी...
शायद .....

भाग -३
समय :१९९७ 
मेरा नाम विवेक है।  मीरा मौसी मेरी मम्मी की चचेरी बहन थी और मेरी मौसी लगती थीं। जब भी ननिहाल जाते तब उनसे मिलना होता। हम बच्चों की अच्छी बनती थी उनसे क्यूंकि नाना के बड़े से संयुक्त परिवार में मामा  मौसियों में वो ही हमारी उम्र के आसपास आ पाती थीं। बहुत प्यार करती थीं हम लोगों से।  मां मौसियों के बच्चो का एक दल था मैं उस दल में सबसे बड़ा था और मीरा मौसी मुझे ४-५ साल बड़ी रही होंगी तो वो ग्रुप की कप्तान और मैं उनका राइट हैंड था।  उनकी ऑंखें हरी थी ।  हम हर साल गर्मियों की छुट्टी में नानी के घर जाते थे।  पर जिस साल ये मीरा मौसी वाला मामला हुआ था उस साल नहि गए।  मां ने गॉव में बीमारी फैली होने का बहाना बना दिया। दादा दादी के घर होकर लौट आये।  चूँकि सभी बच्चों का जुड़ाव अपने ननिहाल से अधिक होता है इसलिए बड़ा बुरा लग रहा था।
२०१४ में जब गए तो मीरा मौसी नहीं थी घर में। हमने पूछा तो बोला गया कि पिछले साल उनकी हैजे से मौत हो गयी। चूँकि उस समय हैजा, कॉलरा इन से मौत होना आम बात थी तो बच्चों का ज्यादा ध्यान नहीं गया।  ऐसे भी उनके बारे में यही सुन रहे थे की वो काफी बीमार रहने लगी थीं।  मेरी उनसे घनिष्ठता बहुत थी तो मुझे बड़ा बुरा लगा। चूँकि हम बच्चे थे और महिलाओं की गप शाप वाली महफ़िल में घुष जाया करते थे तो थोड़ी खुसुर फुसुर मेरे कान में भी पड़ी। फिर अपने मामा के एक बेटे जो मेरा दोस्त भी था उस से पूरी कहानी मालूम पड़ी।  बहुत ही बुरा लगा।  बहुत ज्यादा सही गलत तो जानते नहीं थे हम, पर मीरा मौसी के साथ जो हुआ उसे सुनकर खून खौल गया।  सोचा ऐसा कोई कैसे कर सकता है किसी के साथ।  सच बताऊँ तो मुझे भी समस्या का समाधान नहीं पता था पर वो मीरा मौसी की हत्या तो नहीं ही था।  बचपन में पड़ी हुयी चोटें ज़्याडा गहरी होती हैं तो मैंने तय किया की कभी भी अब नानी के घर नहीं जाऊंगा.

भाग -४ (वर्तमान)
समय: २००२  
०५ साल बाद गाँव आया था सब कुछ बदला हुआ था।  मोबाइल, डिश एंटीना घर घर आ चुके थे, बैलगाड़ी की जगह मोटर गाडी, जीप चल रही थीं।  लोगों में आधुनिकता आ गयी थी।  मामा मामियोँ और नाना नानी से मिलकर भागा मीरा मौसी के घर, ताकि जो खबर सुन कर मैं आया था  उसकी सत्यता जान सकूं।  घर में अजीब शांति और सन्नाटा पसरा था।  बड़ी मामी (मीरा मौसी की बड़ी भाभी) बाहर आयीं।  चूँकि मैं कई साल बाद गाँव आया था तो सभी कुशल मंगल पूछने के बाद मामी की अचानक रुलाई फुट पडी।  तब मालूम पड़ा की मीरा मौसी की मौत के बाद छोटी मामी को बेटी हुयी पर कमर से नीचे पूरे शरीर को लकवा मारा हुआ था।  पैर हिला नहीं पाती , ५ साल की होने को है पर रोती रहती है पूरे समय।  मीरा मौसी की मौत के बाद और इस बच्ची के होने के बाद ,प्रधानी का चुनाव मामा जी हार गए और उसी दिन उन्हें अटैक आ गया और उनकी मृत्यु हो गयी।   उसके बाद गांव में हैजा फैला और मंझली नानी (मीरा मौसी की माँ) भी नहीं रही।  मामी रोते रोते बोलते जा रही थीं की जब से ये लड़की हमारे घर में आयी है एक मनहूसियत सी फ़ैल गयी है।  पता नहीं किस जन्म का बदला ले रही है मैंने पूछा कहाँ है वो तो वो बोलीं छत पे लेटी है पलंग पे।  चूँकि मैं उसी को देखने आया था बिना एक पल गंवाए छत की तरफ भागा।  छत पे जाकर देखा एक बच्ची पलंग पे लेटी हुयी है।  कमर से नीचे शरीर एक दम सूखा हुआ है, लगातार रो रही है फिर मेरा ध्यान उसकी आँखों की तरफ गया।  तो जो सुना था वो सच ही है , वही है ये वही हरी ऑंखें वैसे ही नाक नक्श।  जिसने भी मीरा मौसी को देखा है वो एक बार में पकड़ लेगा।  मैंने उसे गोदी उठाया तो वो २ मिनट के लिए चुप हो गयी।  मैंने उसे बोला : मीरा मौसी आप ही हो न??
वो फिर से रोने लगी तो उसे लिटाकर मैं कुछ सोचता हुआ सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था तो एक नजर उसके चहेरे पे गयी और ऐसा लगा जैसे वो मुझे मुस्कुराते हुए देख रही है वही क्रूर सी मुस्कान.... वही बदले से ओतप्रोत मुस्कान। एक ऐसे इंसान की मुस्कान जिससे उसका सब कुछ छीन लिया गया हो उसे असहाय और कमजोर समझकर और अब उसके पास बदला लेने का मौका आया हो।
नीचे आया तो मामी रोते रोते बड़बड़ा रहीं थी की पता नहीं किस पाप का प्रायश्चित करवा रही है ये लड़की। जिस दिन से पैर रखा है अपशकुन ही हो रहे हैं घर में।  इसके पैदा होते ही पूरे गाँव में महामारी फ़ैल गयी थी।  इसके माँ बाप भी चले गए उसी में , पर ये तब भी जी गयी।  पता नहीं किस जन्म के पापों का बदला ले रही है ये।
मेरा मन हुआ बोल दूँ की इसी जन्म के बदला है मामी।
मैं मामी को बड़बड़ाता छोड़कर बाहर निकल आया तो अजीब सी संतुष्टि महसूस हुयी ऐसा लगा जैसे कोई कहानी अधूरी रह गयी थी वो अपने आप पूरी हो रही है।
इतने साल हो गए इस घटना को आज भी बस ०२ ही चीजें  याद आती हैं वो ऑंखें और वो मुस्कान।।
किसी ने सच ही कहा है कर्म सबका हिसाब करते हैं, और यहीं करते हैं। 

Sep 16, 2019

Anayara Tales

अनायरा जी की 2 बेस्ट फ्रेंड्स हैं आहना और सुहानी। सुहानी का Nick Name पुच्चू है। अब अनायरा जी का कहना है कि उनको भी घर में पुच्चू बोला जाए और आहना के पेरेंट्स को भी बोला जाए कि उसको भी पुच्चू बोलें।

Sep 14, 2019

Journey of weight

There was a time in my life when my weight was 52 kg for almost 6-7 years (during Engg and PG days) and the target was to reach 65 kg. Now from the last 6-7 years, my weight is 77 kg and the target is still to reach 65 kg. This journey of weight in my life, I called a 180-degree lateral movement and I literally hate it.

Sep 10, 2019

He She Story

He was a loner, She was a dreamer...
He was in a deep depression, She was living life king-size (or queen-size)...
He has no family, The whole world was her family...
He was lonely, She was the soul of her circle...
He was carrying the burden of his past, She was living life in present...
He didn't have anything to win, She has a lot to lose...
He wanted to die, She wanted to live...
For him, this world doesn't matter at all while she wanted to make this world a better place to live...
He wanted to erase all marks of his existence from this world, She wanted to leave her prints in this world...
He has heart disease, She was fit from the body and from the mind and from the soul...
He was passing his time till his death, She has a bucket list to follow...
He didn't have any reason to live, She was having a long bucket list...
His last wish was to die peacefully, Her last wish was to donate all her body organs...
They never met each other...
Than one accident happened...
They were lying in adjacent beds in a hospital...
Their eyes met for 1 brief second...
His eyes with uncertainty about life...Her eyes with a blank expression and a face wearing a smile...
She died...He lived...
She left her eyes and heart to see and feel this world after her death...He re-entered this world with a new heart...
He didn't know what to do with this new life until her father came to him and gave him, an envelope...
An envelope that has a letter along with her bucket list...
He read the letter...
He didn't remember after how many years he felt something so deeply so movingly...
He makes a decision ...
A decision to complete her bucket list...
A decision to live that she wanted to live...
He was crying...
From the heavens, she was smiling...

Sep 7, 2019

कृष्ण या कर्ण

अपनी अपनी जिंदगियां हैं...
अपने अपने महाभारत हैं...
अपने अपने दुर्योधन हैं...
अपने अपने अर्जुन हैं...
कृष्ण मिलना सबको मुनासिब नहीं...
अपने कर्ण को ढूंढिए...

हमने उनके घर देखे (स्वरचित )

हमने उनके घर देखे
घर के भीतर घर देखे
घर के भी तलघर देखे
हमने उनके डर देखे -भगवत रावत
जितने उनके घर देखे
उतने उनके डर देखे
उसे कोई डर नहीं था
उसका कोई घर नहीं था - अरविन्द









Aug 6, 2019

Did Mahabharata really happen??

Question: Did Mahabharata really happen or is it all fiction?
Answer: I have read around 20–22 books on Mahabharat from different angles. After reading all these books I have made a simple theory to understand Mahabharat that is there are 02 ways to look at the epic. First, Consider everything fiction and assume that someone has written a big story which B R Chopra is shown to the tv and it has never happened. With this theory, you can accept anything from arrows leaving the fire to Gandhari having 100 kids. Secondly, Accept that Mahabharat has indeed happened and try to understand the contemporary view of it. This theory will discard drama part and you have to accept that in reality the epic was something else but retelling has added lots of drama and fictions to it. I accept this view and try finding answers to different questions since lots of time ahs passed hence not much authentic data is available to validate this theory 100% but I believe that Mahabharat did happen.

Jun 29, 2019

चलते चलते (५९)

वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से वो और थे जो हार गए आसमान से ~फ़हीम जोगापुरी

चलते चलते (५८)

रास्ते कभी नहीं बताते कितना जुनून था तुममे, मंजिल पर पहुचने वाले को ही जानते हैं लोग ! - अंकुर मिश्रा

चलते चलते (५७)

तुम ले के अपने हाथ में ख़ंजर न देखना और देखना तो तन पे मिरे सर न देखना दुश्मन भी मेरे साथ ही आता है बज़्म में तुम को क़सम है आँख उठा कर न देखना #मिर्ज़ामायलदेहलवी

चलते चलते (५६ )

कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी -- जावेद अख़्तर

May 9, 2019

चलते चलते (५५ )

पतझड़ को भी तू फुर्सत से देखा कर ऐ दिल, बिखरे हुए हर पत्ते की अपनी अलग कहानी है ...!!

May 3, 2019

मृत्युंजय

Mrityunjay was my 23rd book on Mahabharat overall and 2nd book on "Mahabharat from Karna's point of view". Since it was a book many people have referred me, so I start it with some critical point of view. Till the halfway marks, I feel it was an ok-ok effort but in the second half, it has gathered the pace.
For over two decades since its first publication the vast non- Marathi and non-Hindi readership remained deprived of this remarkable exploration of the human psyche till the publication of this English translation by the Writers workshop – a contribution for which there is much to be grateful for.
"Mrityunjaya" is the autobiography of Karna, and yet it is not just that. It is like watching the events take place in Mahabharat from Karna's eyes.
Four books are spoken by Karna. These are interspersed with a book each from the lips of his unwed mother Kunti, Duryodhana (who considers Karna his mainstay), Shon (Shatruntapa, his foster-brother, who hero-worships him), his wife Vrishali to whom he is like a god and, last of all, Krishna.
When you read an autobiography, you expect a certain amount of flattery and justification of doing things wrong but this novel surprises you at that front as it offers a human emotion behind all the mistakes. This is truly a saga of betrayal, friendship, loyalty, hard work and of Daanveer Karna. Mrityunjay is a literary masterpiece. By the end of Mrityunjay, I was emotionally very drained. I was angry, upset, hurt and was feeling very void inside. I am just not able to read anything for some time now.
It is a must-read book.

Apr 12, 2019

Role Reversal

I firmly believe that there is a point in everyone's life when suddenly you realize that your parents have now got older (may be an illness, or maybe an accident, or slower reflections, or maybe forgetting small things) and that's the point when role reversal happened. A role reversal where you became their parent and they became your kids. Sad but true. Almost inevitable. 
What we need to do at that point is to be the best parent we can be. 

Feb 25, 2019

गुफ्तगू (१२)

ये चादर सुख की मौला क्यूँ सदा छोटी बनाता हैं ?
सिरा कोई भी थामो, दूसरा ख़ुद छूट जाता है ,
तुम्हारे साथ था तो मैं ज़माने भर में रुसवा था ,
मगर अब तुम नहीं हो तो ज़माना साथ गाता है..!


चलते चलते (५४)

औक़ात नहीं थी जमाने की जो हमारी क़ीमत लगा सके कम्बख्त इश्क़ में क्या पड़े मुफ़्त में नीलाम हो गए

Feb 19, 2019

चलते चलते (५३)

पुरानी कश्ती को पार लेकर फ़क़त हमारा हुनर गया है,
नए खिवैया कहीं न समझें नदी का पानी उतर गया है!


चलते चलते (५२)

दिलों का हाल तो ये है कि रब्त है न गुरेज़
मोहब्बतें तो गईं थी अदावतें भी गईं - सहर अंसारी

Feb 18, 2019

13 Non-Popular but Must do things in Goa

If you are not a hippie and have a vision for the world beyond booze and pubs then this blog is for you. I am sharing here 13 must-do things that one can do in Goa beyond pubs & casinos.

1. Drive a rented 2 wheeler: 
If you are a tourist, you can book an airconditioned cab but to enjoy Goa freely and to be a traveler, you must visit it by a rented vehicle. 

2Naval Aviation Museum: 
While everyone will tell you to go to this beach and that beach in Goa, keep Naval Aviation Museum at top of your list. It is a must-visit place. It has a huge and terrifying collection of old wartime ships and machines.









3. Fontainhas:
Goa was a Portuguese colony and in fontainhas, there is a row of houses that were still some Portuguese lives. It's a surreal experience to visit this place.









4. Water Sports: 
Goa is heaven for the water sports lover. One can quench its thirst by many water games available here.












5. Avoid Baga & Calangute Beach:
Yes. You heard it right. Avoid Baga & Calangute beach. Everyone will tell you to go to these beaches but these beaches are so crowdy that you will feel suffocated there. Doesn't matter how far you can see, you will see the sea of peoples. You can go to Arambol in North & Cavalossim in South.









6. Mandovi River Sunset Cruise: 
A Cruise trip to Mandovi river is a very underrated thing. You can go to different islands and also the breathtaking sunset view on this river cruise.

7. A trip to Bom Jesus Basilica & the church of St Francis of Assisi: 
A trip on history lane of these churches situated directly in front of each other is surely a must-do a thing in Goa. You will get a glimpse of Goan history at this place. Also, the Church of St Francis Assisi is the only church in goa that has a museum attached.










8.Church of Our Lady of the Immaculate Conception:
The specialty of this church is its location. It is situated in a square. Yes, you heard it right. It is situated just beside a road and has a very picturesque view. One can sit on its stairs and enjoy its view.







9.Spice Village Tour in Goa:
In your daily, you may use different spices but visiting a spice plantation village may give you butterfly in your stomach. Something, that you will cherish for the rest of your life.
10. Shopping at Anjuna Beach:
Shopping at Anjuna Beach is an enriching experience for every shopaholic. You will get lots of fancy stuff at the very roadside price but beware; keep your bargaining mode on.  
11. A train ride to Dudhsagar Falls:
In Monsoon time, this is a must-do activity. Keep a day off for this. You will get some postcard images and some breathtaking views.
12. Visit the Butterfly Conservatory, Ponda:
It is another thing that no one will tell you about. You will get butterflies of different colors and types.
13. Sunrise in North and Sunset in South:
Watching the sunrise at different beaches of North Goa (prefer Candolim Beach) and sunset at South Goa (prefer Cavelossim Beach) will complete your journey. North Goa usually has crowded beaches hence it is more preferable in the morning time while South Goa being less crowdy, is a leisure place for honeymoon goers or for couples, wants to spend some peaceful time watching the sunset.






Feb 7, 2019

Alvida 2018 & Welcome 2019

First of all, I am really feeling bad that a blog that I should have written in December now I am writing in Feb. Anyways let's get back to review of 2018. This was an eventful year, a year where I have taken certain decisions that may make or break me in the future (Speaking Financially).
Below is the summary of how 2018 has fared on different factors and aim for 2019:
Financially: 2018 was a game-changer. I bought a house. It was a long time pending plan. My budget for it was 40 lac but I end up doing it in 52 lac, which's punching above the weight. Coming years will fare whether it was the right decision or not. It was a bucket list point to a home of your own and did it.
Financially last few months of this year were very tight and I am in neck-deep in loan and this situation is likely to persist till June this year.
Reading: This year I could read around 30 books, which is a good number considering I was a little busy this whole year with many assignments.
Traveling: 2018 started on a very bright note as I visited Digha & Mandarmani in January itself but after that year could have much content to show except 01 Kolkata trip in June.
Writing: This year I wasn't much activity on my blog and could write only 17 blogs, this year will try to be more active.
I got some new friends this year. At the end of 2017, I became Library Secretary in Burnpur Club. 2018 added some feather in that cap. I will hope that 2019 will add the cherry on the cake.
Target for 2019:- For 2019, I have very high hopes.
Financially:  This year may be a little tight but will try to ease out the burden by June.
Reading: Target for 2019: 50 books, that precisely is 01 book each week.
Writing: No Doubt I need to be more active and I am already planning to write a few short stories.
Traveling: The target for 2019: Travel 06 new places in 12 months. This year has started well. In Jan, I already visited Bhilai and around areas.
For everything else, finger crossed.