अपनी अपनी जिंदगियां हैं...
अपने अपने महाभारत हैं...
अपने अपने दुर्योधन हैं...
अपने अपने अर्जुन हैं...
कृष्ण मिलना सबको मुनासिब नहीं...
अपने कर्ण को ढूंढिए...
अपने अपने महाभारत हैं...
अपने अपने दुर्योधन हैं...
अपने अपने अर्जुन हैं...
कृष्ण मिलना सबको मुनासिब नहीं...
अपने कर्ण को ढूंढिए...
2 comments:
कर्ण को ढूंढता हूं तो खुद में उसको पाता हूं। मान लिया खुद को कर्ण तब दुर्योधन दोस्त बन जाता हैं। है अजीब ये दुनिया, रोज परीक्षा लेती है। अब तू ही बता है अरविंद, दोस्ती की लाज रखूं या झूठे धर्म का साथ दूं।
Wah Bhai wah...
Post a Comment