- सैर कर गाफिल दुनिया की जिंदगानी फिर कहाँ , जिंदगानी गर कुछ रही तो नौजवानी फिर कहाँ।
- छह महीने का कुत्ता और बारह बरस का पुत्ता। हुआ सो हुआ गया सो गया।
Dec 9, 2020
राहुल सांकृत्यायन -गुणाकर मुले
लामाओं के देश में
- घंटे कितने ही क्यों न हों, समय ठहरता थोड़े ही है।
- डर का कारण मालूम हो जाने डर आधा ही रह जाता है।
- तीर्थयात्रा सहज नहीं होती।
- पृथ्वी में ऐसा कौन सा काम है जो प्रयत्न करने से सफल नहीं हो सकता।
- जितना महत्वपूर्ण हिन्दुओं के लिए काशी मुसलमानों के लिए मक्का है उतना ही महत्वपूर्ण तिब्बतियों के लिए ल्हासा है।
विस्मृत यात्री
- लोगों को पढ़ने का शौक़ीन होना चाहिए उससे ज्ञान की वृद्धि होती है।
- सामाजिक रूढ़ियों के कारन कितनी ही बातें जो एक देश में चलती हैं दुसरे देश एम् वर्जित होती हैं
- आदमी पहली यात्रा के लिए जब कदम उठाता है तो उसे कहाँ मालूम होता है की इसका अंत कहाँ होगा।
- मनुष्य की बाल - स्मृति सबसे मधुर होती है
- शाश्त्र पढ़ने से आदमी की ऑंखें खुलती हैं पर उसकी कूपमंडूकता दूर करने के लिए देशाटन भी आवश्यक है।
- परिचित होकर ही हम जान सकते हैं कि किस तरह देश और समाज में परिवर्तन हुआ करते हैं।
- अगर दुःख अकारण होता तो उसे हटाने का प्रयत्न करना बेकार होता।
- युद्ध भी एक भीषण महामारी है , जिसके आने पर बस्तियां उजाड़ जाती हैं।
- विद्या का आकर्षण घुमक्कड़ी से कम नहीं।
- सभी जगह लोगों की भावनायेँ लगभग एक जैसी होती हैं।
- मनुष्य प्रकृति से कोमल और उदार हृदय का है पर परिस्थितियां बना देती हैं।
- आदमी अपने संस्कार और ज्ञान के अनुसार देवताओं को अपनाता है।
- दुनिया की विचित्रता एक जगह रह रहे आदमी को नहीं मालूम होती।
- आदमी जितना अधिक पृथ्वी का पर्यटन करता है उतना ही अधिक उसकी ज्ञान के विस्तार के साथ जिज्ञासा में भी विस्तार होता है।
- लिपि ही है जो सब जगह एक जैसी समझी जाती है।
घुमक्कड़ शाश्त्र
- घुमक्कड़ी का अंकुर पैदा करना इस शाश्त्र का काम नहीं है बल्कि जन्मजात अंकुरों की पुष्टि , परिवर्धन तथा मार्गदर्शन इस ग्रन्थ का लक्ष्य है।
- घुमक्कड़ से बढ़कर व्यक्ति और समाज का कोई हितकारी नहीं हो सकता।
- घुमक्कड़ी किसी बड़े योग से काम सिद्धि दायिनी नहीं है और निर्भीक तो वह एक नंबर का बना देती है।
- चलना मनुष्य का धर्म है जिसने इसे छोड़ा वह मनुष्य होने का अधिकारी नहीं है।
- महिमा घटी समुद्र की , रावण बसा पड़ोस।
- घुमक्कड़ी के लिए चिन्ताहीन होना आवश्यक है और चिन्ताहीन होने के लिए घुमक्कड़ी आवश्यक है।
- घुमक्कड़ी में कभी कभी होने वाले कड़वे अनुभव उसके रस बढ़ा देते हैं।
- पुत्रवती युवती जग सोई , जाको पुत्र घुमक्कड़ होई।
- मन माने तो मेला नहीं तो सबसे भला अकेला।
- आप अपना शहर छोड़िये , हजारों शहर आपको अपनाने को तैयार मिलेंगे।
- तुम अपने ह्रदय की दुर्बलता को छोडो , फिर दुनिया को विजय कर सकते हो। उसके किसी भी भाग से जा सकते हो ,बिना पैसा कौड़ी के जा सकते हो केवल साहस की आवश्यकता है , बाहर निकलने की आवश्यकता है वीर की तरह मृत्यु पे हंसने की आवश्यकता है।
- समय समय पर केवल उतना ही पैसा लेकर घूमना चाहिए की भीख मांगने की नौबत न आये और साथ ही भव्य होटलों में ठहरने को स्थान न मिल सके।
- जिसमे आत्मसम्मान का भाव नहीं वो कभी अच्छे दर्जे का घुमक्कड़ नहीं हो सकता।
- लेखनी, पुस्तकी, नारी परहस्तगता गता।
- अनाडी आदमी शास्त्र के साथ अच्छा व्यव्हार करना नहीं जानता।
- उचकोटी का घुमक्कड़ दुनिया के सामने लेखक, कवी या चित्रकार के रूप में आता है।
- घुमक्कड़ लेखक बनकर सुन्दर यात्रा साहित्य प्रदान कर सकता है।
- नवीन स्थान में जाने का यह गुर ठीक है की लोगों को जैसा करते देखो उसकी नक़ल तुम भी करने लगो।
- हमारे देश की तरह दुसरे देशों में भी कई जातियां ऐसी हैं जिनका न कोई एक घर है न गाँव।
- दो स्वछंद व्यक्ति एक दुसरे से प्रेम करें यह मनुष्य की उत्पत्ति के आरम्भ से होता आया है।
- प्रेम रहे पर पंख भी साथ में रहें।
- यदि जीवन में कोई अप्रिय वास्तु है तो वह मृत्यु नहीं बलिक मृत्यु का भय है।
- बिना किसी उद्देश्य के पृथ्वी पर्यटन करना , यह भी कम उद्देश्य नहीं है।
Subscribe to:
Posts (Atom)