Jan 6, 2021

हिसाब कौन देगा ??

 उन आधी अधूरी मुलाकातों का

उन अनकहे जज्बातों का

दिल में रह गयी उन तमाम बातों का

तेरी याद में तनहा बितायी रातों का

हिसाब कौन देगा । (1)

साथ बिताये लम्हे को याद करती  करवटों का

आंसुओं से तकिये पे पड़ी सलवटों का

आज भी मुझे महसूस होती तेरे पैरों की आहटों का

मुझे तोहफे में मिली इन खोखली मुस्कुराहटों का

हिसाब कौन देगा ।(2)

सर पे छाये इस जूनून का

सालों से जुदा उस  सुकून का

उस  हर झटककर छोड़े हाथ का

मंजिल से पहले छूटे  साथ का

हिसाब कौन देगा ।(3)

तेरे साथ देखे मेरे हर अधूरे सपने का

तेरे कारण बिछड़े हर अपने का

उन बे -जुबान सवालों का

आज  भी  मुझे महकाते तेरे ख़यालों का

हिसाब कौन देगा ।(4)

साथ खायी जीने मरने की कसमों का

मोहब्बत की निभाई उन सारी रस्मों का

मेरी हर वफ़ा का,तेरी हर जफ़ा का

तुझे पाने के लिए मांगी उन दुआओं का

हिसाब कौन देगा ।(5)

आज तक गूंजती तेरी पायल की छनछन का

मेरी माँ के दिए उस कंगन का

तूने जान बूझकर की उस आखिरी अनबन का

मेरा नसीब बन गयी इस उलझन का

हिसाब कौन देगा (6)

वो सिगरेट की लगी लत का

तेरी जुदाई में लगी हर बुरी आदत का

तन्हाई की  इस सुहबत का

उस पाक़ीज़ा मोहब्बत का

हिसाब कौन देगा(7) 

तूने जो जलाये मेरे उन सभी खतों का

मेरे साथ बिताये उन सभी रतजगों का

तेरी खुशहाल शादी का

और मेरी इस बर्बादी का

हिसाब कौन देगा ।(8)


Jan 5, 2021

पापा

 कंधे पे बिठा के मेला दिखाने ले जाते थे पापा 

रात में कितने भी थके हों पर कहानी जरूर सुनाते थे पापा 

मेरी हर जीत पे मोहल्ले में मिठाई बंटवाते थे पापा 

फिर हर हार पे हिम्मत भी बंधाते थे पापा 

छोटी से छोटी जीत को भी त्यौहार सा मनाते थे पापा 

बड़ी से बड़ी हार पे भी पीठ थपथपाते थे पापा 

खुद तंगहाल रह मुझे नए कपडे दिलवाते थे पापा 

मेरी गलतियों पे मुझे डांटते थे पापा 

पर मैं जब रूठ जाऊँ तो खुद ही मुझे मनाते थे पापा 

फ़ोन पे कहते मम्मी से बात कर लिया करो याद करती है 

पर खुद कितना याद करते हैं ये कभी न बताते थे पापा 

पूरे मोहल्ले के सामने मुझे अपनी शान बताते थे पापा 

मैं उनकी कमजोरी और मेरी ताक़त थे पापा 

कल पापा को देखा तो लगा क्या बूढ़े हो रहे हैं पापा 

क्या कभी बूढ़े भी होते हैं पापा ??