उन आधी अधूरी मुलाकातों का
उन अनकहे जज्बातों
का
दिल में रह गयी उन तमाम बातों का
तेरी याद में तनहा बितायी रातों का
हिसाब कौन देगा । (1)
साथ बिताये लम्हे को
याद करती करवटों का
आंसुओं से तकिये पे
पड़ी सलवटों का
आज भी मुझे महसूस
होती तेरे पैरों की आहटों का
मुझे तोहफे में मिली
इन खोखली मुस्कुराहटों का
हिसाब कौन देगा ।(2)
सर पे छाये इस जूनून का
सालों से जुदा उस सुकून का
उस हर झटककर छोड़े हाथ का
मंजिल से पहले छूटे साथ का
हिसाब कौन देगा ।(3)
तेरे साथ देखे मेरे
हर अधूरे सपने का
तेरे कारण बिछड़े हर
अपने का
उन बे -जुबान सवालों का
आज भी मुझे
महकाते तेरे ख़यालों का
हिसाब कौन देगा ।(4)
साथ खायी जीने मरने
की कसमों का
मोहब्बत की निभाई उन सारी रस्मों का
मेरी हर वफ़ा का,तेरी हर जफ़ा का
तुझे पाने के लिए
मांगी उन दुआओं का
हिसाब कौन देगा ।(5)
आज तक गूंजती तेरी
पायल की छनछन का
मेरी माँ के दिए उस कंगन का
तूने जान बूझकर की
उस आखिरी अनबन का
मेरा नसीब बन गयी इस
उलझन का
हिसाब कौन देगा (6)
वो सिगरेट की लगी लत
का
तेरी जुदाई में लगी
हर बुरी आदत का
तन्हाई की इस सुहबत का
उस पाक़ीज़ा मोहब्बत
का
हिसाब कौन देगा(7)
तूने जो जलाये मेरे उन सभी खतों का
मेरे साथ बिताये उन सभी रतजगों का
तेरी खुशहाल शादी का
और मेरी इस बर्बादी का
हिसाब कौन देगा ।(8)