अस्पताल का AC चल रहा था फिर भी सौरभ और मेघा के चेहरे पे पसीने छूटे हुए थे । दोनों डॉक्टर से मिलने आये हुए थे । मेघा ५ महीने की गर्भवती थी ।
०२ दिन पहले
जब वो लोग रूटीन चेक अप के लिए डॉक्टर के पास आये थे तो डॉक्टर ने सोनोग्राफी करने
का बोला था । ये रिपोर्ट सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है क्यूंकि इसमें बच्चे का आकार
दिखने लग जाता है । ये भी मालूम पड़ जाता है की बच्चे में कोई विकार तो नहीं है । अगर
रिपोर्ट में कुछ गड़बड़ होता है तो यही आखिरी मौका होता है बच्चा अबो्र्ट कराने का ।
डॉक्टर ने
उन्हें बताया की बच्चे की रिपोर्ट में कुछ समस्याएं आयी हैं । उन्होंने मेघा से
कहा की आप बाहर चले जाएँ, मैं आपके पति से कुछ बात करना चाहता हूँ । मेघा ने कहा आप को जो भी बोलना
है मेरे सामने बोलिये , मेरी चिंता मत कीजिये ।
डॉक्टर: आपके
बच्चे को "Hypoplastic left heart syndrome
" है । आसान शब्दों में कहें तो दिल के दो हिस्से होते हैं एक
लेफ्ट में और एक राइट में । दोनों के अलग अलग काम होते हैं, पर इस बीमारी में लेफ्ट वाला हिस्सा सही
तरीके से डेवेलप नहीं हो पाता है । इसके सर्वाइवल के चांस बहुत कम हैं । ये अपना
समय पेट में ही पूरा कर ले तो बड़ी बात है । ऐसा लाखों में एक केस आता है ।
सौरभ : सर्जरी
वगैरह करने से काम नहीं हो सकता है ?
डॉक्टर : काम
तो चल सकता है पर ७-८ सर्जरी होती हैं उसके बाद भी कोई गॅरंटी नहीं दी जा सकती । मैं
डॉक्टर हूँ मेरा काम है आपको वास्तविक स्थिति से वाकिफ कराना । बच्चे के पेरेंट्स
आप हैं तो अंतिम निर्णय आपका होगा, पर मेरी सलाह है की बच्चा अबो्र्ट करा देना चाहिए आपको तकलीफ
के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा।
सौरभ: सर, हम
आपस में और अपने परिवार से बात कर के आपको बताते हैं ।
इस पूरे
कन्वर्सेशन में मेघा चुपचाप बैठी थी ।
सौरभ ने पहले
अपने घर पर और फिर मेघा के घर पर सबको इस बात की जानकारी दी और उनकी राय मांगी । डॉक्टर
पर शक करने का कोई कारण नहीं था फिर भी एक दो और डॉक्टरों को फ़ोन किया । सभी का एक
ही मत था की ये डॉक्टर सही कह रहा है । सभी दुखी थे पर सबका ही कहना था की बच्चा
अबो्र्ट कराना ही बेहतर होगा । अभी थोड़ी तकलीफ और दर्द सह के भविष्य का बड़ा दर्द बचाना
ही ठीक है ।
मेघा अब तक
चुप ही बैठी थी। सौरभ ने उसे आकर सबका मत बताया ।
मेघा : आप
क्या सोचते हो ?
सौरभ: यार
हमारा पहला बच्चा था मोह तो हो ही जाता है पर मुझे भी यही लगता है की हमें इस चीज
को दिमाग से हल करने की जरुरत है । जितना देरी करेंगे एबॉर्शन के निर्णय में उतना
तुम्हारे शरीर को ही नुकसान होगा । हम दोनों अभी यंग हैं फिर प्लान कर लेंगे ये सब
। अभी जो एक्सपर्ट है उसकी राय मानी जाये । मैंने नेट पे भी देखा है डॉक्टर सही ही
कह रहा है ।
मेघा : देखिये
ये हमारा पहला बच्चा है और जब से ये बच्चा मेरे पेट में आया है तब से मैं इसके साथ
जी रही हूँ । पता नहीं कितनी बातें की हैं इससे । कितने नाम सोच रखे हैं इसके लिए
। ये मेरी दिनचर्या ,मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया है । इसने मुझे माँ बनने की
ख़ुशी दी है जो की दुनिया का सबसे खूबसूरत तोहफा होता है किसी भी औरत के लिए कुदरत
का दिया हुआ । जहाँ तक बात है इस बच्चे की तो जिंदगी और मौत तो भगवान के हाथ में
है । कोई किसी की जिंदगी की जिम्मेदारी नहीं ले सकता । मेरे बच्चे को जीना है या
नहीं ये भगवान तय करेगा । मैं माँ हूँ मैं बस जिंदगी दे सकती हूँ ले नहीं सकती तो
भले ही इस बच्चे के सर्वाइवल के चांस ०% हों मैं तो भी बच्चा अबो्र्ट नहीं कराने
वाली । भगवान की जो मर्जी हो वो करे मैं अपनी मर्जी से तो अपना बच्चा नहीं मरने
छोडूंगी । मैं अपने आप को क्या जवाब दूंगी ।
सौरभ: देखो
तुम अभी भावनाओं में बह रही हो प्रक्टिकली ये भी सोचो की ये तेरी बॉडी को भी तो
नुकसान पहुचायेगा अगर देर सबेर कुछ प्रॉब्लम हुयी तो ?
मेघा: यार
मुझसे प्रक्टिकली सोचते अभी बनेगा नहीं । मैं इस बच्चे को केरी करुँगी मैंने तय कर
लिया है । सारा नुकसान मेरे शरीर पे पड़ना है मैं झेल लूंगी । शरीर मेरा है तो
निर्णय भी मेरा होगा ।
सौरभ मेघा की
जिद्द से वाकिफ था उसे मालूम था की अगर एक बार मेघा ने कुछ निर्णय ले लिया तो कोई
उसका निर्णय नहीं डिगा सकता ।
सौरभ ने भी
सोचा की उम्मीद कभी किसी इंसान की ख़तम नहीं की जानी चाहिए । अगर मेघा का इतना ज्यादा मन
है तो चलते हैं साथ में उसके । साथ ही उसने अपने आपको
आने वाले निश्चित कल के लिए भी तैयार कर लिया था ।
जब जिंदगी में
तूफ़ान आते हैं तो बहुत सारे लोग उससे बचने के लिए कोई छाँव ढूंढते हैं और तूफ़ान के बीतने का इंतजार
करते हैं पर बहुत कम लोग ही ऐसे होते हैं जो उसका सामना करते
हैं ।
मेघा ने तूफ़ान
से लड़ने का तय कर लिया था ।
उसके इस एक निर्णय से जैसे उसके दोस्तों और रिश्तेदारों
में तूफ़ान सा आ गया था । बहुत
लोगों ने बहुत बातें कहीं । किसी ने कहा अपने ईगो में मेघा किसी की सुनती नहीं है । किसी ने जिद्दी कहा, किसी ने बेवकूफ । किसी ने ‘Immature’ कहा, किसी ने ‘Emotional Fool’ । समाज हमेशा से आम इंसान चाहता है हीरो कभी पसंद नहीं करता। जब
आप समाज की तय मान्यताओं के खिलाफ खड़े होते हैं । कहीं न कहीं लोगों का ईगो हर्ट होता है । वही यहाँ हो रहा था
। उसके पति को छोड़ किसी ने उसका साथ नहीं दिया । ऐसा लगता था जैसे लोग मरे जा रहे
थे की कैसे उसे गलत साबित करें ।
दिनों को जैसे पंख लग गए थे । ऐसे तो मेघा को मोटा होना चाहिए था पर वो चिंता में पतली होती जा रही
थी । हर घडी उसे अपने बच्चे का ही ख्याल रहता । सोते जागते बस वहीँ ध्यान रहता । सुबह
जागते ही अपने पेट पे हाथ लगाकर महसूस करती बच्चे को । कई बार रात में डरावने सपने
आते और अचानक जाग जाती । ऐसे सोचिये जैसे कोई इंसान अपने शरीर पर एक जिन्दा बम बांध
ले और वो हर घडी टिक टिक कर रहा हो फिर आपका सारा ध्यान बस
वही लग जाता है । आप दुनिया में रह के भी दुनिया में मौजूद
नहीं रहते वही हाल मेघा का था ।
हर दिन एक नयी
जंग थी । हर सुबह एक और दिन शांति से बीत जाने का संदेशा लाती ।
धीरे धीरे समय
पूरा हुआ और अचानक एक दिन उसे दर्द होना शुरू हुआ सौरभ उसे लेकर अस्पताल भागा वहां
डिलीवरी नार्मल हुयी ।बच्चे को पैदा होते ही ICU में ले जाना पड़ा क्यूंकि उसकी ह्रदय गति सामान्य नहीं थी । मेघा
को जैसे ही होश आया उसने बच्चे के बारे में ही पूछा । सौरभ ने उसे ICU
में दूर से बच्चा दिखा दिया । अपने बच्चे को देखकर उसके
अंदर कुछ उमड़ने लगा । कभी कभी ऐसा होता है न कि सारी जिंदगी एक लम्हे पर आकर ठहर
जाती है। आपके सारे निर्णय सारे फैसले उस लम्हे पे आकर रुक जाते हैं । वही लम्हा
एक निर्णायक सा हो जाता है । आपकी असफलता और सफलता के बीच बस वो एक लम्हा आकर खड़ा
हो जाता है और ऐसे लम्हे में आपकी जिंदगी आपकी आँखों के सामने घूमने लगती है। पहली बार बच्चा पेट में आने से लेकर के आज तक का समय मेघा की
आँखों के आगे घूम गया । डॉक्टरों ने बताया की
२ दिन बच्चे को ICU में रखेंगे उसके बाद उसे वो लोग ले जा सकते हैं लेकिन फिर
एक सप्ताह में ही सर्जरी के लिए प्लान करना होगा ।
०२ दिन बाद वो
लोग बच्चे को घर ले आये । मेघा बहुत खुश थी । अभी अभी प्रसव की कमजोरी से उठी थी
पर अलग स्तर के उत्साह पे थी । उसे लग रहा था बस अब सब सही होने जा रहा है पर जब
लगता है न की सब सही हो रहा है तभी गड़बड़ होना शुरू होती है ।
घर आने के ३-४
घंटे बाद अचानक बच्चे की सांस फूलने लगी उसे लेकर सौरभ और मेघा तुरंत डॉक्टर के
पास भागे पर तब तक शायद देर हो चुकी थी । बच्चे की साँसे थम गयीं । डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया
। कई बार भगवान बहुत क्रूर हो जाता है । वो बच्चा जिसने माँ
के पेट में ९ महीने काट दिए वो बाहर दुनिया में २ दिन पूरे नहीं कर पाया । वो लोग
बच्चे का शव लेकर वापिस आ गए । घर में रोने का दौर शुरू हुआ । ऐसे तो सभी को होनी
का अंदाजा था पर कई बार कोई उम्मीद न होने पर भी एक उम्मीद बनी रहती है । मेघा और सौरभ
को छोड़ बाकि लोग रो रहे थे । मातम मना रहे थे । सौरभ मेघा का हाथ पकड़ के बैठा था
पास ही बच्चे का शांत शरीर पड़ा था । आंसू छंटे तो उसकी जगह गुस्से ने ले ली । बगले
वाले कमरे में मेघा की सास ससुर उसके ऊपर गुस्सा हो रहे थे बच्चा रखने की जिद्द के लिए । मेघा की माँ सौरभ
का नाम लेकर कुछ बड़बड़ा रहीं थी । बाहर भी लोग यही बातें कर रहे थे की फालतू में
इतनी जिद्द की अब देखो क्या मिला । मेघा स्तब्ध थी । शांत थी । थक गयी थी । वो हार गयी थी । ०९ महीने
से लड़ रही थी वो । आज सारा शरीर सुन्न हो गया था, बस बच्चे को एकटक देखे जा रही थी
वो । सचमुच क्या मिला उसे ०९ महीने की धुकधुक ,बेचैनी और आज का ये दिन । सचमुच लोग सही कह रहे थे हार गयी
थी । उसी के साथ हार गयी थी एक माँ ।
यही सोचते
सोचते उसकी आँखों से आंसू बहने लगे तभी उसे लगा जैसे एक बच्चे के हाथ उसके आंसू पोंछने लगे । उसने
आँखें खोली तो देखा उसका बच्चा था जो उसके आंसू पोंछ रहा था और कह रहा था की माँ
तू मत रो । भगवान ने तो मेरा मरना कब का लिखा था पर तू दुनिया
से , किस्मत से युद्ध करके मुझे यहाँ तक ले आयी । इस दुनिया की मान्यताओं के हिसाब से तो मुझे कब का मर जाना
था पर तू मेरी ढाल बनी । मैं अगली बार फिर तेरा बच्चा बन कर वापिस
आऊंगा । तू हारी नहीं है जीती है माँ । मेघा ने अपनी ऑंखें पोंछी तो देखा
कोई नहीं था उसके मन का भरम था ये । उसकी नजरें वापिस अपने बच्चे पे गयीं तो एक पल
के लिए उसे ऐसा लगा जैसे उसका बच्चा मुस्कुरा रहा है । तभी सौरभ
ने उसका हाथ पकड़ के कहा की मुझे भी अभी वही महसूस हुआ जो तुझे हुआ और तू सचमुच हारी नहीं है जीती है । तेरा बच्चा जहाँ भी होगा तुझपे गर्व कर रहा होगा ।
वो लोग जो तूफ़ान से लड़ने की हिम्मत दिखाते हैं उन्हें
दुनिया पागल समझती है । कभी कभी ऐसे लोग तूफ़ान से जीत जाते हैं पर कभी कभी तूफ़ान जीत
जाता है और इंसान हार जाता है । आखिर भगवान भी नहीं चाहता कि एक आम इंसान तूफ़ान से
जीत जाये क्यूंकि फिर उसकी क्या जरुरत रह जाएगी ।
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