अजीब सा माहौल हो गया है। जहां जिस किसी दोस्त या रिश्तेदार से बात कर रहे हैं वो परेशान है। हर तरफ बुरी खबरों की बाढ़ आई हुई है। मृत्यु जैसे आम सी हो गई है। मौतो का कहीं कोई हिसाब भी नहीं हो रहा है। कोई भी अस्पताल में एडमिट हो रहा है तो दिमाग मे नकारात्मक विचार आ रहे हैं। कहीं कोई सिस्टम, सरकार कुछ नहीं है। लोग खुद ही दौड़ भाग रहे हैं। एक जगह के लिए प्रार्थना कर रहे हैं तो मालूम पड़ता है कहीं और प्राथनाएं कम पड गयी हैं।आशा है कि कहीं तो अंत आएगा इस सबका।।
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