May 3, 2021

तेहरी

 आकाश नया नया अपनी बिल्डिंग में शिफ्ट हुआ था। जैसा की हर भारतीय की आदत होती है उसने भी सबसे पहले अपना पडोसी कौन है ये पता कराया। ये जानकर बहुत दुःख हुआ उसे की एक मुस्लिम परिवार उसके बगल में रहता है । आबिदा और शहाना की नेमप्लेट लगी थी दरवाजे पे । नेमप्लेट देखते ही उसका मूड ख़राब हो गया।  उसने बहुत सी बातें सुन रखीं थीं 'इन ' लोगों के बारे में  । कोई कहता था की बहुत गंदगी से रहते हैं ये लोग । कोई कहता बातचीत का तरीका नहीं आता इन लोगों को। उसने तय कर लिया था की वो एक दम बातचीत नहीं रखेगा इन लोगों से ।उसकी पत्नी प्रेगनेंसी के कारण मायके गयी हुयी थी। आकाश अपने काम से काम रखता ।कभी दरवाजा खोलते बंद करते पडोसी से सामना हो जाता तो वो कटने की कोशिश करता । एक दिन अचानक दरवाजे पे नॉक हुयी उसने खोला तो देखा उसका पडोसी आबिद था ।

आबिद: आप नए आये हैं तो कई दिन से वाइफ आपको invite  करने का बोल रही थी ।

आकाश : उसकी जरुरत नहीं है ।

आबिद: अरे आईये न वाइफ ने 'तेहरी' बनायीं है।  

आकाश : प्लीज आप जिद मत कीजिये मेरा एक दम मन नहीं है । मेरा थोड़ा धर्म का मामला है आप माइंड मत कीजियेगा।

आबिद शायद कुछ कुछ समझ गया था वो कुछ बोला नहीं और चला गया ।

अंदर आकाश आया तो थोड़ा उसे ख़राब लग रहा था की आबिद से रूडली बात की, पर लगा की हमेशा के लिए झंझट ख़तम हुआ ।उसे तेहरी कभी अच्छी भी नहीं लगी थी ।

कुछ दिनों बाद सब जगह कोरोना फ़ैल गया और आकाश भी इससे अछूता नहीं रह सका ।उसको डॉक्टर ने होम आइसोलेशन की सलाह दी पर उसका बुखार टूट ही नहीं रहा था ।मेड पहले ही आना बंद कर चुकी थी अब खाने की समस्या थी। १-२ दिन आकाश ने एक होटल में फ़ोन करके कुछ कुछ मंगवा लिया इसके बाद वो खाना भी आकाश के गले से उतरना मुश्किल हुआ ।

आज दिन भर से आकाश भूखा था क्यूंकि कई होटलों ने उसकी कॉलोनी में खाना भेजना बंद कर दिया था covid  की वजह से ।उसने फोन साइलेंट करके साइड में पटक दिया और भूखा ही सो गया । शाम हो गयी ।आकाश की हालत ख़राब होने लगी भूख और बुखार से शरीर टूटने को हुआ ।

तभी दरवाजे पे नॉक हुआ आकाश की हालत तो थी नहीं उठ के खोलने की उसने नॉक इग्नोर किया। फिर २-३ बार नॉक हुआ आकाश को थोड़ा इर्रिटेशन हुआ उसने आकर दरवाजा खोला तो सामने आबिद खड़ा था ।

आबिद: अरे आपकी कंडीशन मालूम पड़ी मुझे । आपको मुझे बोलना चाहिए था न खाने की व्यवस्था कुछ कर देता मैं। मुझे लगा आप मंगवा रहें हैं खाना कहीं से वो तो आज वाइफ बोली की दिन भर से खाना नहीं आया है आपके यहाँ । मेरे यहाँ का खाना तो आप खाएंगे नहीं ये लीजिये ये आपके वाले होटल से ही मैं लेकर आया हूँ।

कोई और समय होता तो आकाश मना कर देता पर अभी उसकी भूख उसके 'ईगो और धर्म' पे भारी पड़ गयी। आकाश ने खाने का पैकेट ले लिया । बहुत तेज भूख के बीच जैसे ही खाना मिला आकाश के आंसू आ गए ।

अब ये रोज का सिलसिला हो गया। आबिद खाना बाहर रखकर दरवाजे पे नॉक कर देता । आकाश थोड़ी देर बाद खाना उठा लेता।

लगभग १ सप्ताह हुआ था की आकाश को खाने के स्वाद में अंतर समझ आने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे घर का खाना आ रहा हो ।उसका १-२ बार मन हुआ पूछने का फिर उसने रहने दिया क्यूंकि खाना उसे अच्छा ही लग रहा था । उसकी तबियत ठीक होने लगी । उसके अंदर इस मुस्लिम परिवार के लिए कृतज्ञता भर गयी थी । फिर जब वो नेगेटिव हो गया तो उसने आबिद का दरवाजा नॉक किया एक प्रेग्नेंट महिला ने दरवाजा खोला । उसे देखकर आकाश चौंक गया । उसने आकाश से नमस्ते की । तब तक आबिद भी आ गया ।

आबिद: हाँ । आकाश ।।

आकाश : अरे वो होटल वाले का कितना हुआ था लगभग १० दिन खाना आया था दोनों टाइम ?

आबिद (सकुचाते हुए ): यार खाना होटल से २ दिन ही आया था फिर वाइफ बोली की बीमार को ऐसा खाना नहीं खाने देना चाहिए तो इसी ने बनाया खाना पर इसने साफ़ सफाई का बहुत ध्यान रखा था यार ।

आकाश : कितना टाइम चल रहा है भाभी जी का ? 

आबिद: सातवां महीना है ।

उसे याद आया की उसकी पत्नी का भी सातवां महीना ही चल रहा है और वो बोल रही थी फ़ोन पे की इस हालत में किचन में जाने तक का मन नहीं करता और ये महिला उसे खाना पहुंचाती रही।

आकाश को बहुत ही ग्लानि महसूस हुयी। ऐसा लगा जैसे किसी ने कोई बोझ रख दिया उसके ऊपर ।एक गर्भवती महिला पिछले ८ दिन से उसका खाना बना रही थी जिसके हाथों का खाना उसने बस इस कारण खाने से मना कर दिया क्यों की वो लोग मुसलमान हैं ।अंतर क्या है उसके और आबिद के परिवार में ,दोनों की नयी शादियां हैं, दोनों की पत्नियां गर्भवतीं हैं । खाने का स्वाद तक उसे अपने घर जैसा लगा था। 

आकाश बिना कुछ बोले ही चला गया । आबिद को लगा शायद आकाश को बुरा लग गया है । 

थोड़ी  देर बाद आबिद के दरवाजे पे नॉक हुयी। आबिद ने खोला तो देखा की आकाश है ।

आकाश ने मिठाई का पैकेट दिया आबिद को और बोला : अंदर नहीं बुलाएँगे ?

आबिद: आईये न ।

आकाश : भाभी आपने धर्म भ्रष्ट कर दिया मेरा ।
शहाना : भैया वो ...

आकाश : (उसकी बात बीच में काटते हुए ) पर मुझे बचा लिया ।'तेहरी' जो उस दिन उधार रह गयी आज मिलेगी?

शहाना(आंसू पोंछते हुए): तेहरी तो १० मिनट में बना दूंगी मैं।

थोड़ी देर बाद आकाश 'तेहरी' खा रहा था। 'तेहरी' बहुत लजीज थी ।

PS: तेहरी एक तरह की खिचड़ी होती है

1 comment:

Sushma Saxena said...

I love the wholesomeness of this story! And,I really pray that humanity could be the one religion to which all humans belonged!
Keep writing.