Jun 29, 2017

चलते चलते (२९ )

मोहब्बत में बुरी नियत से कुछ सोचा नहीं जाता,
कहा जाता है उसको बेवफा समझा नहीं जाता।

चलते चलते (२८ )

हमीं को क़ातिल कहेगी दुनिया, हमारा ही क़त्ले आम होगा
हमीं कुँए खोदते फिरेंगें, हमीं पे पानी हराम होगा

चलते चलते (२७ )

लाये थे आतिश ढूँढ कर रौशनी के लिए,
क्या खबर थी वो आशियाँ ही जला देगी।