May 14, 2016

जीने की राह यही है सही...

जिंदगी की इन राहों में हर कदम है इम्तिहान ...
किन को अपनाएंगे किन  से मुंह मोड़ेंगे इन से होगी हमारी  पहचान ...
बिना आस के बिना चाह के किसी के काम आना ...
बिना किसी उम्मीद के किसी का हाथ बटाना ...
इसी को कहते हैं  सच्चाई से जीना। …
इसे कभी न भूले हम जीते जी ....
जीने की राह यही है सही.....

चलते चलते (19 )

समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध , जो हैं तटस्थ समय लिखेगा उनका भी अपराध....

Most serine places

In my life I have traveled a lot. I met many peoples and visited many places but there are very few places which i can describe as most serine or the places where i felt very peaceful. Here are the list of few such places:
1. Gurudongmar Lake, Sikkim: One hell of an experience.
2. Taj Mahal,Agra: Sitting on the marbles of Taj Mahal with your loved ones is actually a must do thing.
3. Mental Asylum,Bangalore: Before going there i dont know one such place exist in our society. One dirty secret of otherwise sophisticatic society.
4. Vrindavan: Attending Evening prayer in ISCKON temple will take yopu to some other world.
5. Golden Temple,Amritsar: A total beauty.
6. Meeting a Lama: Meeting somebody who has no materialistic life can actually make you feel wonder.
I know the list is quite small but it will be updated regularly.

अर्थ



अभी अभी "अर्थ" फिल्म देखि। बहुत ही अच्छी और यादगार फिल्म है। जितनी ज्यादा ओल्ड क्लासिक फ़िल्में देखता जा रहा हूँ उतना ही मैं अभी भूत भोटा जा रहा हूँ. अर्थ कई मायनों में एक यादगार फिल्म है.  एक दमदार कहानी , जिसे महान अभी ने से जीवंत कर दिया है और इन सबके साथ है संगीत जो फिल्म को दिल की गहराई तक ले जाता है. अर्थ में ये सभी कुछ है । 
 अर्थ एक फिल्म है जो अपने आप में पूर्ण है । २ अभिनेत्रियां जिन्होिंे यादगार अभी ने की मिशाल  पेश की है, खूबसूरत डायलाग  और दिल को छू लेने वाला संगीत । संगीत फिल्म का एक मजबूत पक्षः है और कहीं भी फिल्म को बिखरने नहीं देता. ऐसा कहा जाता है की ये फिल्म महेश भट्ट-परवीन बाबी-सोनी राजदान की जिंदगी पे आधारित है । महेश भट्ट की पतंबि, जिसके पति का एक अभिनेत्री से अफेयर है के रोले में शबाना आज़मी ने गजब कर दिया है. एक लावारिस लड़की जिसको बड़ी मुश्किल से एक घर और गृहस्थी मिली और जो सपने में भी नहीं सोच सकती की उसका ये घरोंदा बिखर जायेगा उसके दर्द को शबाना ने जीवंत कर दिया है । फिल्म को शबाना के दृष्टिकोण से ही लकिखा गया है । 
फिल्म कि शुरुआत में हिो "कोई ये कैसे बताये की वो तनहा क्यों है " आता है गाने के बोल और फिल्म की परिस्थिति फिट बैठती है. ये गण बहुत खूबसूरत तरीके से उस औरत का दर्द बयान करता है जो अपने अंदर एक लड़ाई लड़ रही है ।  दूसरा गण आता है "तुम इतना जोई मुस्कुरा रहे हो क्या गम है जिसको छिप रहे हो " ये उस हालत को दिखता है जिसमे शबाना अपने दर्द को छिप कर मुस्कुरा रही है है और उसकी अपनी जिंदगी आगे बढ़ रही है । तीसरा गाना  आता "झुकी झुकी सी नजर " जो की शबाना की वो स्थिति बताता है जिसमे वो अपने एक दर्द से आगे बढ़ चुकी है और प्यार जिसका दरवाजा खटखटा रहा है ।
स्मिता पाटिल और कुलभूषण खरबंदा ने अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया है पर अर्थ केवल और केवल शबाना और जगजीत के संगीत के लिए याद की जाएगी ।