May 14, 2016

अर्थ



अभी अभी "अर्थ" फिल्म देखि। बहुत ही अच्छी और यादगार फिल्म है। जितनी ज्यादा ओल्ड क्लासिक फ़िल्में देखता जा रहा हूँ उतना ही मैं अभी भूत भोटा जा रहा हूँ. अर्थ कई मायनों में एक यादगार फिल्म है.  एक दमदार कहानी , जिसे महान अभी ने से जीवंत कर दिया है और इन सबके साथ है संगीत जो फिल्म को दिल की गहराई तक ले जाता है. अर्थ में ये सभी कुछ है । 
 अर्थ एक फिल्म है जो अपने आप में पूर्ण है । २ अभिनेत्रियां जिन्होिंे यादगार अभी ने की मिशाल  पेश की है, खूबसूरत डायलाग  और दिल को छू लेने वाला संगीत । संगीत फिल्म का एक मजबूत पक्षः है और कहीं भी फिल्म को बिखरने नहीं देता. ऐसा कहा जाता है की ये फिल्म महेश भट्ट-परवीन बाबी-सोनी राजदान की जिंदगी पे आधारित है । महेश भट्ट की पतंबि, जिसके पति का एक अभिनेत्री से अफेयर है के रोले में शबाना आज़मी ने गजब कर दिया है. एक लावारिस लड़की जिसको बड़ी मुश्किल से एक घर और गृहस्थी मिली और जो सपने में भी नहीं सोच सकती की उसका ये घरोंदा बिखर जायेगा उसके दर्द को शबाना ने जीवंत कर दिया है । फिल्म को शबाना के दृष्टिकोण से ही लकिखा गया है । 
फिल्म कि शुरुआत में हिो "कोई ये कैसे बताये की वो तनहा क्यों है " आता है गाने के बोल और फिल्म की परिस्थिति फिट बैठती है. ये गण बहुत खूबसूरत तरीके से उस औरत का दर्द बयान करता है जो अपने अंदर एक लड़ाई लड़ रही है ।  दूसरा गण आता है "तुम इतना जोई मुस्कुरा रहे हो क्या गम है जिसको छिप रहे हो " ये उस हालत को दिखता है जिसमे शबाना अपने दर्द को छिप कर मुस्कुरा रही है है और उसकी अपनी जिंदगी आगे बढ़ रही है । तीसरा गाना  आता "झुकी झुकी सी नजर " जो की शबाना की वो स्थिति बताता है जिसमे वो अपने एक दर्द से आगे बढ़ चुकी है और प्यार जिसका दरवाजा खटखटा रहा है ।
स्मिता पाटिल और कुलभूषण खरबंदा ने अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया है पर अर्थ केवल और केवल शबाना और जगजीत के संगीत के लिए याद की जाएगी ।

No comments: