Jun 29, 2019

चलते चलते (५९)

वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से वो और थे जो हार गए आसमान से ~फ़हीम जोगापुरी

चलते चलते (५८)

रास्ते कभी नहीं बताते कितना जुनून था तुममे, मंजिल पर पहुचने वाले को ही जानते हैं लोग ! - अंकुर मिश्रा

चलते चलते (५७)

तुम ले के अपने हाथ में ख़ंजर न देखना और देखना तो तन पे मिरे सर न देखना दुश्मन भी मेरे साथ ही आता है बज़्म में तुम को क़सम है आँख उठा कर न देखना #मिर्ज़ामायलदेहलवी

चलते चलते (५६ )

कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी -- जावेद अख़्तर