Jul 31, 2017

Our Moon Has Blood Clots

Just finished reading "Our Moon Has Blood Clots" by "Rahul Pandita". The book is based on the plight of Kashmiri Pandits. Its not a book, rather a journey; a very painful one. You will need guts to read it and more power to write it. Rahul Pandita discovers every bit of clapping for writing this great saga. This is perhaps the most accurate and illustrative work on conditions of KP. Some excerpts from the book: "Memory has a mind of its own. It takes off on autopilot, and flashes small incidents in front of you-incidents one has not remembered for years." "For me, though, exile is permanent. Homelessness is permanent. I am uprooted in my mind. There is nothing I can do about it. My idea of home is too perfect. My idea of love is too perfect. And home and love are too intertwined." A must read.

Jul 17, 2017

गुफ्तगू (१०)

राज कितने छुपे हैं मुझमें , बतलाऊँ क्या?
एक मुद्दत से बंद हूं , खुल जाऊँ क्या??
आजिज़ी , मिन्नत, खुशामद , इल्तिजा 
और क्या करूँ मर जाऊँ क्या??
एक पत्थर है वो मेरी राह का ,
ठुकराऊँ नहीं तो ठोकर खाऊं क़्या ??
तेरे जलसे में तेरा परचम लिए ,
सैकड़ों लाशें हैं गिनवाऊँ क्या??
कल मैं यहाँ था, जहाँ तुम आज हो ,
मैं भी तुम्हारी तरह इतराऊं क्या??

चलते चलते (३२)

घर को खोजें रात दिन घर से निकले पाँव,
वो रस्ता ही खो गया जिस रस्ते था गाँव ~निदा फ़ाज़ली

चलते चलते (३१)

सुना है, दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं सुना है,
रात को जुगनू ठहर के देखते हैं ~अहमद फ़राज़

चलते चलते (३०)

किसी लिबास की ख़ुशबू जब उड़ के आती है तेरे बदन की जुदाई बहुत सताती है जौन एलिया

Jul 7, 2017

प्रीति कथा -नरेंद्र कोहली

Just finished reading "Preeti Katha by Narendra Kohli". Narendra Kohli is my favorite writer from his Mahasamar time. When it comes to writing contemporary view of history and mythology, you just can't stop him but expecting a love story from him is little too difficult to believe. I read this book with some serious curiosity and immensely liked it. It belongs to the genre of  "गुनाहों का देवता -धर्मवीर भारती ", Though it is less intense but more descriptive. One can get a decent glimpse of "True Love" merely by reading it. Though i liked the novel very much yet best paragraph was:

"व्यावहारिक गृहस्थी चलने के लिए प्रेम की आवश्यकता ही कहाँ है? अगर लैला मजनूं का विवाह हो गया होता तो मुझे यकीं है उनमे भी झगडे होते , जूते चलते और उनका भी तलाक हो गया होता।"

if you have doubt related to love or anything similar, believe me its must read for you.

गुफ़्तगू (९ )

खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें, दिलों में उल्फ़त नयी नयी है।
अभी तकल्लुफ है गुफ़्तगु में, अभी मोहब्बत नयी नयी है।
अभी न आएगी नींद तुमको, अभी न हमको सुकून मिलेगा।
अभी तो धड़के का दिल जियादा , अभी ये चाहत नयी नयी है।
बहार का आज पहला दिन है, चलो चमन में टहल के आएं।
फ़ज़ा में खुशबू नयी नयी है, गुलों पे रंगत नयी नयी है।
जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रख ते हैं नरम अपना ,
तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नयी  नयी है।
जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा, आ के बैठे हो पहली सफ्फ़ में ,
अभी से  उड़ने लगे हवा में, अभी तो शोहरत नयी नयी है।
बमों की बरसात हो रही पुराने जांबाज़ सो रहे हैं ,
गुलाम दुनिया को कर रहा है, वो जिसकी ताक़त नयी नयी है।