Jul 17, 2017

गुफ्तगू (१०)

राज कितने छुपे हैं मुझमें , बतलाऊँ क्या?
एक मुद्दत से बंद हूं , खुल जाऊँ क्या??
आजिज़ी , मिन्नत, खुशामद , इल्तिजा 
और क्या करूँ मर जाऊँ क्या??
एक पत्थर है वो मेरी राह का ,
ठुकराऊँ नहीं तो ठोकर खाऊं क़्या ??
तेरे जलसे में तेरा परचम लिए ,
सैकड़ों लाशें हैं गिनवाऊँ क्या??
कल मैं यहाँ था, जहाँ तुम आज हो ,
मैं भी तुम्हारी तरह इतराऊं क्या??

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