Jul 7, 2017

गुफ़्तगू (९ )

खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें, दिलों में उल्फ़त नयी नयी है।
अभी तकल्लुफ है गुफ़्तगु में, अभी मोहब्बत नयी नयी है।
अभी न आएगी नींद तुमको, अभी न हमको सुकून मिलेगा।
अभी तो धड़के का दिल जियादा , अभी ये चाहत नयी नयी है।
बहार का आज पहला दिन है, चलो चमन में टहल के आएं।
फ़ज़ा में खुशबू नयी नयी है, गुलों पे रंगत नयी नयी है।
जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रख ते हैं नरम अपना ,
तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नयी  नयी है।
जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा, आ के बैठे हो पहली सफ्फ़ में ,
अभी से  उड़ने लगे हवा में, अभी तो शोहरत नयी नयी है।
बमों की बरसात हो रही पुराने जांबाज़ सो रहे हैं ,
गुलाम दुनिया को कर रहा है, वो जिसकी ताक़त नयी नयी है।

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