Feb 24, 2012

ज़माने बीत जातें हैं....

कभी नजरें मिलाने में ज़माने बीत जाते हैं,
कभी नजरें चुराने में ज़माने बीत जाते हैं,
किसी ने आंख भी खोली तो सोने की नगरी में ,
किसी को घर बनाने में ज़माने बीत जाते हैं,
कभी काली गहरी रात एक पल की लगती है,
कभी एक पल बिताने में पूरी रात बीत जाती है,
कभी खोला दरवाजा तो सामने थी मंजिल,
कभी मंजिल को पाने में ज़माने बीत जाते हैं,
कभी एक पल में टूट जाते हैं उम्र भर के रिश्ते,
वो रिश्ते जिन्हें बनाने में ज़माने बीत जाते हैं....

1 comment:

Showtime said...

Vah Vah Arvind sab
ab aap shayar ban jao aur dusre Naseer sab ban jao.