Nov 6, 2017

गुफ्तगू (११)

सुना है जब से उजाले मेरी तलाश में हैँ
चिराग फूँकने वाले मेरी तलाश में हैँ
नसीब ये कि अंधेरों में ज़िन्दगी गुजरी
कमाल ये कि उजाले मेरी तलाश में हैँ
तुम्हारी जुल्फ की खुशबू है मेरे शानों पर
तमाम गेसुओं वाले मेरी तलाश में हैँ
मेरी वफा ने मुझे क्या से क्या बना डाला
तुझे तलाशने वाले मेरी तलाश में हैँ
इलाही खैर मेरी तिशनगी कहां पहुँची
हसीन होंटों के प्याले मेरी तालाश में हैँ
सुना है जब से वजारत में आने वाला हूँ
ज़मीर बेचने वाले मेरी तलाश में हैँ
अमीरे शहर की दावत से कोई आर नहीं
कि मुफलिसी के निवाले मेरी तालश में हैँ
मैं रौशनी में नहा कर जो गार से निकला
सियाह रात के पाले मेरी तलाश में हैँ
मुझे ना रोको मैं सेहरा में जाऊँगा "कौसर"
किसी के पांव के छाले मेरी तलाश में हैँ |

No comments: