Dec 9, 2020

घुमक्कड़ शाश्त्र

  1. घुमक्कड़ी का अंकुर पैदा करना इस शाश्त्र का काम नहीं है बल्कि जन्मजात अंकुरों की पुष्टि , परिवर्धन तथा मार्गदर्शन इस ग्रन्थ का लक्ष्य है। 
  2. घुमक्कड़ से बढ़कर व्यक्ति और समाज का कोई हितकारी नहीं हो सकता। 
  3.  घुमक्कड़ी किसी बड़े योग से काम सिद्धि दायिनी नहीं है और निर्भीक तो वह एक नंबर का बना देती है।  
  4. चलना मनुष्य का धर्म है जिसने इसे छोड़ा वह मनुष्य होने का अधिकारी नहीं है।  
  5. महिमा घटी  समुद्र की , रावण बसा पड़ोस। 
  6. घुमक्कड़ी के लिए चिन्ताहीन होना आवश्यक है और चिन्ताहीन होने के लिए घुमक्कड़ी आवश्यक है।  
  7. घुमक्कड़ी में कभी कभी होने वाले कड़वे अनुभव उसके रस  बढ़ा देते हैं।  
  8. पुत्रवती युवती जग सोई , जाको पुत्र घुमक्कड़ होई। 
  9. मन माने तो मेला नहीं तो सबसे भला अकेला। 
  10. आप अपना शहर छोड़िये , हजारों शहर आपको अपनाने को तैयार मिलेंगे।  
  11. तुम अपने ह्रदय की दुर्बलता को छोडो , फिर दुनिया को विजय कर सकते हो।  उसके किसी भी भाग से जा सकते हो ,बिना पैसा कौड़ी के जा सकते हो केवल साहस की आवश्यकता है , बाहर निकलने की आवश्यकता है  वीर की तरह मृत्यु पे हंसने की आवश्यकता है।  
  12. समय समय पर केवल उतना ही पैसा लेकर घूमना चाहिए की भीख मांगने की नौबत न आये और साथ ही भव्य होटलों में ठहरने को स्थान न मिल सके। 
  13. जिसमे आत्मसम्मान का भाव नहीं वो कभी अच्छे दर्जे का घुमक्कड़ नहीं हो सकता।  
  14. लेखनी, पुस्तकी, नारी परहस्तगता गता। 
  15. अनाडी आदमी शास्त्र के साथ अच्छा व्यव्हार करना नहीं जानता। 
  16. उचकोटी का घुमक्कड़ दुनिया के सामने लेखक, कवी या चित्रकार के रूप में आता है। 
  17. घुमक्कड़ लेखक बनकर सुन्दर यात्रा साहित्य प्रदान कर सकता है। 
  18. नवीन स्थान में जाने का यह गुर ठीक है की लोगों को जैसा करते देखो उसकी नक़ल तुम भी करने लगो।  
  19. हमारे देश की तरह दुसरे देशों में भी कई जातियां ऐसी हैं जिनका न कोई एक घर है न गाँव। 
  20. दो स्वछंद व्यक्ति एक दुसरे से प्रेम करें यह मनुष्य की उत्पत्ति के आरम्भ से होता आया है। 
  21. प्रेम रहे पर पंख भी साथ में रहें।  
  22. यदि जीवन में कोई अप्रिय वास्तु है तो वह मृत्यु नहीं बलिक मृत्यु का भय है। 
  23. बिना किसी उद्देश्य के पृथ्वी पर्यटन करना , यह भी कम उद्देश्य नहीं है।

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