May 29, 2021

ये रात

 ये रात इतनी स्याह अँधेरी सी क्यों है,

ये कजरारी रात इतनी गहरी सी क्यों है,

तुम तो कहते थे की सुबह आने ही वाली है,

तुम तो कहते रात बस जाने ही वाली है,

झूठ तुम इतना कहते क्यों थे?

तुम तो साथ देने आये थे इस काली रात में,

तुम खुद रात में खो गए क्यों हो?

बिन तुम इस  रात को बिताना,

जैसे अंधे कुएं में उतर जाना क्यों है?

मेरी सांस की आवाज भी मुझे सुनाई देती है,

इस रात  में  इतनी  ख़ामोशी  क्यों  है ?

जानते  हो    मुझे  अंधेरों  से  डर  लगता  है,

फिर  अंधेरों  में  ही  मुझसे  दामन  छुड़ाना  क्यों  है ?

एक  पल  भी    चल  पाएंगे  तुम्हारे  बिना,

फिर  अपने  अपने  रस्ते  जाना  क्यों  है ?

तुम  कहते  थे  कभी  रास्ता  भूलो  तो  ध्रुव  तारे  को  देख  लेना

तुम  उस  तारे  को अपने साथ  ले  गए  क्यों  हो ?

तुम  जो  साथ थे तो अंधेरों में जुगनू भी  रोशन थे ,

अब  ये  रात  अमावस  सी  भयावह   क्यों  है ?


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